अगर मेरे वैक्सीन लगाई तो छोड़ूंगी नहीं…मेडिकल टीम को देखकर रोने लगी महिलाएं, टीके से डरकर घर से भागी

कोरोना संक्रमण के मामले देशभर में लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा भी बना हुआ है ऐसे में सरकार वैक्सीनेशन पर जोर दे रही है. लेकिन राजस्थान के कुछ सीमाई इलाकों में हर दिन वैक्सीनेशन को लेकर अजीबोगरीब तस्वीरें सामने आ रही है. ग्रामीण इलाकों में इतने समय बाद भी वैक्सीनेशन को लेकर डर बना हुआ है.

ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन टीम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मेडिकल कर्मचारियों को देखते ही लोग घर छोड़कर भाग जाते हैं या उनसे बहस-मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं. ताजा मामला बीते सोमवार का सांचौर के माखुपुरा से है जहां वैक्सीन लगाने आई मेडिकल टीम को देखते ही महिलाएं घर छोड़कर भाग निकली.

वहीं कुछ महिलाएं मेडिकल टीम को वैक्सीन लगाने पर धमकाने लगी. हालांकि मेडिकल टीम ने 1 घंटे तक महिलाओं से समझाइश की लेकिन महिलाओं ने टीका लगवाने के लिए हामी नहीं भरी.

वैक्सीनेशन टीम को देखकर घर से भागी महिलाएं

दरअसल, माखुपुरा के इस इलाके में 10 घुमंतू परिवार के लोग रहते हैं जो सालभर घूम-घूमकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. वैक्सीन लगाने वाली टीम इस इलाके में जब वैक्सीन लगाने पहुंची तो गांव की महिलाएं घर छोड़कर भागने लगी. डॉ. मनोज कुमार विश्नोई के नेतृत्व में गई टीम को देखकर कुछ महिलाएं रोने लगी तो कुछ टीम से बहस करने पर आमदा हो गई.

अगर मेरे हाथ लगाया तो छोडूंगी नहीं !

बता दें कि मेडिकल टीम के लोगों ने महिलाओं को वैक्सीन लगाने की काफी कोशिश की लेकिन महिलाओं ने साफ मना कर दिया. वहीं कुछ महिलाएं अपने घर के अंदर चली गई और कहा कि अगर मेरे हाथ लगाया तो मैं छोड़ूंगी नहीं. मेडिकल टीम के सदस्य काफी देर तक कोरोना के खतरे को लेकर समझाते रहे लेकिन महिलाओं ने टीका नहीं लगाया.

3 लाख लोग पहले डोज से वंचित

गौरतलब है कि जालोर जिले में 18 साल से अधिक उम्र के 13.75 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें से 10 लाख 77 हजार 736 लोगों को पहली डोज लग चुकी है. वहीं 3 लाख लोगों अभी भी ऐसे हैं जिन्होंने पहली डोज भी नहीं लगवाई है.

इसके अलावा जिले में 7 लाख 53 हजार 744 लोगों को दूसरी डोज लगी है. ऐसे में तय समय पर वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा करने के लिए टीमें अब घर-घर जाकर वैक्सीन लगा रही है लेकिन यहां भी उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिल रही है.

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